Sunday, June 20, 2010

खिसकी से डूबते सूरज का  पीला होकर गहराता  मंज़र साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था. .........(बाकी aaiyndaa)

2 comments:

  1. ये कौन सा अंदाज़ है-हर बात में आइंदा
    सहमे से झिझकते से ख़यालात में आइंदा

    कहने को मुनव्वर ने ख़ुशबख़्त कहीं गज़लें
    पर तुमको हमेशा ख़ुशी की ज़ात में आइंदा

    दुनिया के मसाइल ये हल करने पड़ेंगे ख़ुद
    इस दम,अभी,ख़ुद,ये नहीं कि बाद में-आइन्दा
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    नाम ख़ुशी है तो ख़ुश रहना सीखो जीना सीखो
    बीती बातें, डूबे सूरज संग दरया में ग़र्क़ करो

    शुभकामनाएँ, एक शुभेच्छु की सद्भावनाएँ लो और आगे बढ़ो -आइन्दा को अभी में बदल डालो।

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  2. thnx himanshu ji, aap bada khoobsoorat likhte hain

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