"इस कमरे में ख्वाब रखे थे, कौन यहाँ पर आया था
गुमसुम रोशनदानो बोलो क्या तुमने कुछ देखा था...."
"लो बहन जी यहाँ बैठी हैं! आपको कुछ खबर है ज़माने की! सारा कोलेज खाली हो गया है सब जा चुके हैं ...आप हैं कि....!!!"
सुषमा की तुनक भरी आवाज़, उसे लगा जैसे कहीं बहुत गहरे कुए से आ रही हो, उसने मुस्कुरा कर उसे देखा, सामान समेटा, और कहा," बस!!!! आ ही रही थी मै." लान के सुन्दर फूल, गहरी हरी घास, खुली हवा, उसे लगा दो मिनट के लिए जेसे फिर जी ली हो वह, बस, उन्ही दो मिनट तो भूल पाई थी उसे.....वही दो मिनट ज़िंदगी के....बाकी फिर, मौत!!!!
भूलें हैं रफ्तां-रफ्तां, तुझे मुद्दतों के बाद
किस्तों में खुदकशी का, मज़ा हम से पूछिए....
(बाकी आईन्दा.........)